November 20,2024 | Category: Celebrities
शैलजा पैक की कहानी एक संघर्ष और उपलब्धियों की प्रेरणादायक यात्रा है। महाराष्ट्र के छोटे से गाँव पोहेगाँव में जन्मी शैलजा ने अपने साधारण जीवन से निकलकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्धि प्राप्त की। उन्होंने दलित समुदाय के अधिकारों और सामाजिक न्याय के प्रति अपना जीवन समर्पित किया।
2024 में प्रतिष्ठित MacArthur Fellowship (“जीनियस ग्रांट”) प्राप्त करने वाली पहली दलित महिला बनकर उन्होंने इतिहास रच दिया। यह उपलब्धि न केवल उनकी व्यक्तिगत विजय है बल्कि पूरे दलित समुदाय के लिए गर्व और प्रेरणा का प्रतीक है।
शैलजा ने सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय से स्नातक और परास्नातक की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ वारविक से 2007 में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। वर्तमान में, वे सिनसिनाटी विश्वविद्यालय में इतिहास की प्रोफेसर हैं और चार्ल्स फेल्प्स टाफ्ट प्रतिष्ठित अनुसंधान प्रोफेसर के रूप में सेवा दे रही हैं।
उनकी प्रमुख कृतियों में “Dalit Women’s Education in Modern India: Double Discrimination” (2014) और “The Vulgarity of Caste: Dalits, Sexuality, and Humanity in Modern India” (2022) शामिल हैं, जिनमें उन्होंने दलित महिलाओं के संघर्ष और उनकी एजेंसी पर प्रकाश डाला है।
शैलजा पैक का जीवन यह दर्शाता है कि कैसे एक साधारण शुरुआत से असाधारण उपलब्धियाँ हासिल की जा सकती हैं। उनका काम न केवल अकादमिक क्षेत्र में बल्कि सामाजिक बदलाव के लिए भी मील का पत्थर है।
उनकी कहानी से प्रेरणा लेकर, यह साफ होता है कि शिक्षा और दृढ़ संकल्प किसी भी बाधा को पार कर सकते हैं।
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